प्रभु पद पाने को जी चाहता है।।
ओ चितचोर जो ओझल भी है सामने भी। २
उससे नजरे मिलाने को जी चाहता है। ।
प्रभु पद पाने को जी चाहता है।।
ओ भक्ति जिससे मुक्ति पाती है दुनिया २
उसमे डूब जाने को जी चाहता है।
हरि गुण गाने को जी चाहता है।
प्रभु पद पाने को जी चाहता है।।
झलक एक तेरी ओ मैंने जो पायी । २
कि फिर दर्शन पाने को जी चाहता है। ।
हरि गुण गाने को जी चाहता है।
प्रभु पद पाने को जी चाहता है।।
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