भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ता, तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्ण. अर्थात भौतिक विषयों के भोग नहीं खत्म हुए हम मनुष्यों का जीवन ही समाप्त हो गया . तृष्णा ख़त्म नहीं हुई लेकिन विषय रसों का भोग करने वाली हमारी इन…
Read more »अगर आप किसी ईसाई या मुसलमान से पूछोगे कि sunday को sunday ही क्यों कहा जाता है? क्या कारण है इसका ? तो वह कुछ नहीं बता पायेगा . इस विषय में मैं अपने पिताजी से कल पूछा . उन्होंने बताया की सूर्य जिस ग…
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