ईश्वर ही देता है - भगवान ही सबका भरण पोषण करता है

जौनपुर के राजा जयंत बहुत दानशील थे उनके दरबार के बाहर अक्सर 2 भिखारी भीख मांगने आया करते थे राजा दोनों अधिकारियों को खाना खाने का भोजन देते थे.
एक भिखारी जिसकी आयु कम थी वह कहता कि मुझे जो कुछ भी मिला "राजा ने दिया है"!
 "लेकिन दूसरा भिखारी जो बूढ़ा था यह कहता सब ईश्वर की माया, "ईश्वर ने दिया है !"

एक दिन राजा ने सोचा मै दोनो को दान में भोजनादि देता हूँ | एक तो मुझे दाता मानता है , पर दूसरा कहता है  ईश्वर ने दिया।


मुझे इन दोनों के कथनों को जांचना चाहिए आखिर सही कौन है

दूसरे दिन ही राजा ने सिपाहियों से तरबूज मंगवाया और अंदर से खोखला करवाकर उसके अंदर सोने के सिक्के भरवा दिएI

दूसरे दिन दोनों भिखारी दान मांगने आए राजा ने युवक भिखारी को तरबूज दे दिया पर बुड्ढे भिखारी को उसने मन कर दिया।  उससे कहा कि जाओ जाकर अपने ईश्वर से मांगो देखता हूं मैं भी कैसे देता है| 

बुड्ढे भिखारी को कोई दुख नहीं हुआ उसने कहा राजन ही देता है ईश्वरी मुझे आपसे धन जलवा तथा भोजन दिल वादा था अगर आप मुझे कुछ नहीं देना चाहते तो कोई बात नहीं ईश्वर आज भी मुझे किसी का किसी के हाथों में जरूर कुछ दिलाएगा दोनों बिगारी वहां से चले गए

हर बार की तरह इस बार भी युवा भी सारी खिलाते हुए गया कि राजा ने दिया राजा ने दिया अगले दिन राजा ने दोनों बिहारियों को दरबार में बुलाया और राजा ने पूछा युवा अधिकारी से राजा ने पूछा क्यों बताओ क्या तुमने कल तरबूज खाया मैंने उसको सब्जी वाले को बेच दिया उससे जो पैसे मिले उससे मैंने भोजन किया राजा ने बुड्ढे बिलारी से पूछा क्यों क्या तूने किसने दिया उसने कहा जब आपने मुझे कुछ नहीं दिया तब मैं बाजार में चला गया भी मांग ली इस सब्जी वाले ने मुझे सबूत दिया मैंने घर आकर कटा तो उसमें से ढेर सारे सोने के सिक्के मिल अब राजा को पता चल गया कि देने वाला राजा नहीं ईश्वर हैI
सबहीं नचावत राम गोसाईं नाचत नर मरकट की नाइ 


अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम दास मलूक कह गए सबके दाता राम