जब राजा ने बांध बनाकर नदी का पानी बंद कर दिया

तीन तरह का हठ प्रसिद्ध है । बाल हठ राज़ हठ और त्रिया हठ । राजा अगर कोई  बात ठान ले तो उसे पूरा कर के ही रहता है । ऐसे ही एक कहानी है जिसमे एक राजा जिद मे आकर नदी की पानी को रोक दिया था जो उसके राज से होती हुई शत्रु देश मे जाती थी ।

एक बार युवा राजा अपने मंत्री के साथ नदी किनारे टहल रहा था। नदी का किनारा बहुत मनोरम था। राजा उस स्थल की सुंदरता देख कर मंत्र मुग्ध हो गया । राजा ने अपने मंत्री से पूछा ! मंत्री जी ये नदी कहाँ जाती है ।
नदी का प्रवाह पश्चिम से पूरब की ओर था । मंत्री ने जबाब दिया । महाराज इस नदी का पानी पूरब के देश को जाता है । राजा ने मंत्री से पूछा क्या पूरब के देश का राजा मेरा मित्र है । मंत्री ने जबाब दिया महाराज इस देश से आजकल सीमा विवाद के कारण शत्रुता चल रही है । ऐसा सुनकर राजा ने मंत्री से कहा ! मेरे राज्य का पानी शत्रु के देश मे नही जायेगा ।

राजा ने अपने मंत्री को आदेश दिया आज ही शीघ्र अति शीघ्र नदी का पानी रोक दिया जाये
राजा के आदेश अनुसार मंत्री ने अधिक संख्या मे श्रमिक लगा दिये । श्रमिकों ने दोपहर से पहले नदी का पानी रोक दिया । नदी का पानी रुकने से नदी किनारे के गावं शहर मे नदी का पानी बाढ़ की स्थिति पैदा करने लगा । ग्रमीणो ने चालाक मंत्री से गुहार लगायी कि नदी का पानी न रोका जाये । मंत्री ने  ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि वह इस राज हठ से अपने देश के नागरिकों को बचाने का प्रयास करेगा । साथ ही मंत्री ने ग्रामीणों से रात तक जल भराव से सावधान रहने कि सलह दी ।

राजा के दरबार मे अलार्म के लिये घंटा बजाने वाला था  जो रात मे चार बजे 4 बार घंटा बजाता था । पाँच बजे  5 बार और सात बजे 7 बार घंटा बजाता था । मंत्री ने घंटा बजाने वाले को निर्देश दिया कि तुम आज रात 12 बजे ही 7 बार घंटा बजाना ।
घंटे कि ध्वनि सूनकर राजा जग गया उसने घंटा बजाने वाले के पास जाकर उससे समय पूछा । उसने विनम्रता से कहा महाराज सुबह के 7 बजे हैं । राजा ने आश्चर्य से पूछा 7 बज गये लेकिन अभी तक सूरज नही निकला ! सेवक मंत्री को बूलावो । मंत्री से राजा ने पूछा -- अबतक सूर्योदय क्यों नही हुआ ।
मंत्री ने विनम्रता से कहा ! महाराज हमने पूरब देश वालों का पानी रोक दिया है इसलिय बदले मे उन लोगों ने सूरज को रोक लिया है ।  अब अपने देश मे कभी सूर्योदय नही होगा । राजा ने मंत्री से पूछा इसका उपाय क्या है । मंत्री ने कहा ---
यदि हम नदी का पानी उनको भी जाने दे तो हो सकता है वो भी सूरज को अपने देश मे आने दें । राजा ने आदेश दिया शीघ्र नदी पर बना बाँध तोड़ दिया जाय । रजा के आदेशानुसार मजदूर
बाँध तोड़ने मे लग गये ।कूछ घंटों बाद बाँध टूट गया । तबतक सुबह भी हो गयी थी और सूरज भी निकलने लगा था । सूरज कि लाली देख राजा अत्यंत खुश हुआ ।
इसतरह मंत्री कि चालाकी से राज हठ से मुक्ति मिली और नगरवासी डूबने से बचे

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