वृद्ध गिद्ध और चालाक बिल्ली

वृद्ध गिद्ध जरद्गव और चालाक बिल्ली  - Aged Vulture a Cunning Cat

गोदावरी नदी के तट पर एक विशाल सेमल का पेड़ था। उसपर प्रत्येक दिशाओं से पक्षी आकर रात्रि में विश्राम करते थे। पक्षी दीं में सुबह सुबह अपने चारे के खोज में निकल जाते थे और रात्रि में अपने बच्चों के लिए ("जो अपनी चारा अभी नहीं चुन सकते") KUCHH CHARA लेते आते थे।  उनका दिन बहुत अच्छे से कट रहा था।  विशाल सेमल का पेड़ आवास जो था उनका।

वृद्ध गिद्ध

 

उस पेड़ पर एक बूढ़ा गिद्ध  भी रहता था।  गिद्ध बूढ़ा हो जाने के कारण शिकार करने में असमर्थ था। पक्षी उसे अपने बूढ़े पितामह की तरह आदर करते थे। शाम को लौटते समय सभी यथासम्भव आहार उस बूढ़े गिद्ध के लिए ले आने का नित्य प्रयत्न करते थे।  पक्षी संख्या में बहुत ज्यादा थे अतः उनका थोड़ा थोड़ा प्रयत्न भी उस बूढ़े गिद्ध के बड़े उदर की पूर्ति के लिए पर्याप्त था। बदले में सम्माननीय गिद्ध महोदय पक्षियों के बच्चों की रक्षा कर दिया करते थे। पक्षी दिन भर अपने बच्चों और अंडो की सुरक्षा की परवाह से निश्चिंत होकर आहार चुनते थे और रात में सुख से आकर अपने बच्चों के साथ रहते थे।


पेड़ के नीचे एक मार्जार अर्थात विडाल =>(बिल्ला ) रहता था।  बिल्ला पेड़ पर पक्षियों के अंडो और बच्चों को आहार बनाने के लिए सदैव प्रयत्न करते रहता था। लेकिन गिद्ध की चौकस रखवाली के कारण उसके बार बार के प्रयास बिफल हो जा रहे थे। अब उसने एक चाल चली। उसने गिद्ध से मित्रता कर छल से पक्षियों के बच्चों और अंडो को मारने की योजना बनाया। एक दिन वह पेड़ के निचे से गिद्ध की तरफ मित्रता की आग्रह भरे  निगाह से देखा, और मित्रता का आग्रह किया। बिल्ले ने मित्रता स्वरुप  बैठक के लिए गिद्ध को अपने पास पेड़ के निचे अपने आवास में आमंत्रित किया।  निश्छल हृदय गिद्ध ने उसके निमंत्रण को स्वीकार कर लिया और बिल्ले के पास पहुंच गया। बिल्ले ने गिद्ध को बहुत से  अदृष्टपूर्वं स्वादिष्ट भोजन से स्वागत किया। उससे बहुत सी चिकनी चुपड़ी बाते की तथा मित्रता के महत्व को बताया। इसके सन्दर्भ में उसने गिद्ध के समक्ष कई उदहारण प्रस्तुत किये। गिद्ध पूरी तरह से विल्ले के प्रपंच की बात से प्रभावित हो चूका था।  बिल्ला चुकी पेड़ पर चढ़ सकता था अतः जाते जाते गिद्ध बिल्ले  के अपने पास आने का निमंत्रण दे गया।
बड़ी चालाकी से बिल्ला गिद्ध के पास दिन में पक्षियों की अनुपस्थिति में आना जाना शुरू किया। वह आते जाते बड़े चालाकी से पक्षियों के अंडो और बच्चों को खाने लगा। चुकी विडाल (बिल्ला)  अब गिद्ध का मित्र था इस लिए गिद्ध ने उसपर कभी संदेह नहीं किया।
जब पक्षियों के अंडे और बच्चों की संख्या घटने लगी तो उन्हें इस बात की चिंता हुई। उन्होंने वृक्ष पर और कोई शत्रु न देखकर गिद्ध पर ही संदेह किया। अंडे और बच्चों के वियोग में क्रोधित पक्षियों ने उस बूढ़े गिद्ध को चोंचों की प्रहार घायल कर दिया। चोंच की आघात से घायल बूढ़े गिद्ध की अन्न और भोजन के अभाव में शीघ्र ही मृत्यु हो गयी।
अतः एक श्लोक के माध्यम से इस सन्दर्भ में जो उक्त है सो निम्नलिखित है। 
"अज्ञात कुलशीलश्य वासो देयो न कश्यचित।
मार्जारश्य ही दोषेण हतो ग्रीधो जरद्गव: । ।"
अर्थात जिसके कुल गोत्र और स्वभाव के बारे में जानकारी न हो उस व्यक्ति को अपने यहाँ वास नहीं देना चाहिए ("अर्थात नहीं ठहरने देना चाहिए") बिल्ली के दोष से ही बूढ़े गिद्ध की पक्षियों ने हत्या  कर दी।

जरद्गव अर्थात जो बूढ़ा हो गया है।        

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ